top of page
Dr Harikrishna Devsare and Mrs Vibha Devsare

डॉ. हरिकृष्ण देवसरे बाल साहित्य के मूर्धन्य साहित्यकार थे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन बालसाहित्य की प्रगति और प्रशस्ति के लिए उत्सर्ग किया।

डॉ. देवसरे ने हिंदी बालसाहित्य को एक युग प्रवर्तनकारी मुकाम दिया, बाल साहित्य के सृजन, प्रकाशन, संपादन तथा नए प्रयोगों की दिशा में मौलिक उद्भावनाओं का समोवश करनेवाले हरिकृष्ण देवसरे, हिंदी बालसाहित्य के एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं, डॉ.देवसरे का, हिंदी बालसाहित्य में शोध की परंपरा का सूत्रपात करने और समीक्षा के क्षेत्र में पहल करने में प्रशंसनीय योगदान है।

उन्होंने न केवल प्रचुर मात्रा में बालसाहित्य की रचना की बल्कि इस क्षेत्र में अनेक नई बहसों और आंदोलनों को जन्म दे, उससे जुड़ने के लिए लोगों को सतत प्रेरित-प्रोत्साहित किया, जो बालसाहित्य में आधुनिकता बोध और उसकी प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक थी।

 
Book Covers of Dr Harikrishna Devsare
Dr Harikrishna Devsare
Covers Of Parag Magazine, India Children's Literature

आधुनिक बालसाहित्य के प्रणेता के रूप में डॉ. देवसरे ने बालसाहित्य संबंधी 300 से अधिक पुस्तकें लिखीं, बच्चों की पत्रिका पराग का संपादन कर पत्रकारिता के नए मानक स्थापित किए, उनके संपादन में निकले अंक आज भी स्तरीय बालसाहित्य तथा उत्कृष्ट संपादन कौशल की कसौटी हैं। अनुवाद में बाल साहित्य से बाल मनोविज्ञान तक देशी-विदेशी धरोहर से हिंदी बालसाहित्य को निखारा, यही नहीं हिंदी में बच्चों के लिए कॉलम लेखन की भी शुरुआत की। आकाशवाणी में 25 वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्य करने के अतिरिक्त रेडियो धारावाहिकों का लेखन किया। दूरदर्शन के लिए दस से अधिक धारावाहिकों, बीस वृत्तचित्रों एवं दस टेलीफिल्मों का लेखन, निर्देशन एवं निर्माण भी किया है। "विज्ञान प्रसार" में मानद फेलो और विशेष सलाहकार के तौर पर कार्य किया। साहित्य की प्रतिष्ठित संस्थाओं से 25 से अधिक राष्ट्रीय एवं राजकीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

साहित्य अकादमी द्वारा बालसाहित्य के क्षेत्र में समग्र योगदान हेतु वर्ष 2011 के पुरस्कार से सम्मानित डॉ. देवसरे निःसन्देह - भारतीय बालसाहित्य के शलाका पुरुष थे।

Devsare Baalsahitya Nyaas Logo

डॉ हरिकृष्ण देवसरे बच्चों के लेखन में सतत अग्रसर रहे। बाल मन के हर आयाम को अपनी कलम के द्वारा समेटने में वे निरंतर प्रयत्नशील रहे और नई पीढ़ी में वैज्ञानिक चेतना, कल्पनाशीलता एवं आधुनिक सोच भरने की चेष्टा करते रहे। उनका सपना था - एक ऐसा कल जहाँ आज का बालक स्वयं को भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बना सके।

 

 उनके इसी सपने को साकार करने के लिए हरिकृष्ण देवसरे बालसाहित्य न्यास की स्थापना की गयी है। न्यास का मुख्य उद्देश्य आज के लेखकों को ऐसा  साहित्य लिखने के लिए प्रेरित करना है जो न केवल मानवीय मूल्यों को समाहित किये हुए हो वरन बच्चों को यथार्थ की पृष्ठभूमि पर आने वाले कल का सामना करने के लिए जागरूक बना, वैज्ञानिक सोच से आप्लावित कर कल्पनाशीलता से भर सके और बालमन को बाँधने में सक्षम हो।

Devsare Baalsahitya Nyaas Logo
bottom of page