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बालसाहित्य के सृजन, प्रकाशन, संपादन तथा नए प्रयोगों के प्रवर्तन की दिशा में विगत 50 से भी अधिक वर्षों तक निरंतर योगदान।

बालसाहित्य के लिए निष्ठापूर्वक समर्पित और उसकी संवृद्धि के महायज्ञ में समिधा के रूप में अर्पित जीवन। 

शिक्षा: एम. ए. (हिंदी) 1960, सागर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.)

            पीएच.डी. 1968, जबलपुर विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.)

'हिंदी भाषा में बाल साहित्य' विषय पर भारत की प्रथम पीएच.डी.

 

 

 

बालसाहित्य के सृजन, प्रकाशन, संपादन तथा नये प्रयोगों के प्रवर्तन की दिशा में मौलिक उद्भावनाओं की स्थापना। 

 

बच्चों के लिए 300 (तीन सौ) से अधिक पुस्तकों का लेखन। 

बालसाहित्य समीक्षा की दिशा में प्रशंसनीय योगदान।

हिंदी बालसाहित्य के मानक ग्रंथ   

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'हिंदी बालसाहित्य : एक अध्ययन'

~  

'बालसाहित्य : रचना और समीक्षा'

'बालसाहित्य : मेरा चिंतन'

'बालसाहित्य के सरोकार'

'भारतीय बाल साहित्य'

साहित्य जगत में भी पचास वर्षों से अधिक समय से सक्रिय लेखन।

कुछ उल्लेखनीय प्रकाशन : 'तुलसी के गीतिकाव्य'(समालोचना), 'अगर ठान लीजिए' (व्यक्तित्व निर्माण),

'खाली हाथ' (उपन्यास), 'कक्षा में शिक्षा मनोविज्ञान' (हेनरी लिन्ग्रेन की बाल-मनोविज्ञान संबंधी पुस्तक का अनुवाद), 'अथ नदी कथा', 'पर्वत गाथा 'आदि। 

आकाशवाणी में 1960 से 1984 तक कार्यक्रमों का लेखन प्रसारण तथा विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यक्रम संयोजन। 

 

 

1984-1991 तक टाइम्स ऑफ इंडिया की प्रसिद्ध बाल पत्रिका 'पराग' का संपादन।

पराग के सम्पादन की अवधि में कई अभिनव प्रयोग किए।  

 

बालसाहित्य के मौलिक लेखन को प्रोत्साहन।

 विज्ञान कथाओं, बाल एकांकी जैसी विधाओं में अभावपूर्ति एवं अभिनव प्रयोग। 

किशोरों के लिए कविताओं और कहानियों में विशिष्ट प्रयोगों का समावेश।

राजा-रानी एवं परियों की कथाओं की, आज के संदर्भ में सार्थकता पर प्रश्नचिह्न लगाकर बहस का सूत्रपात एवं आधुनिकता बोध से प्रेरित और

बच्चों के आज के मनोविज्ञान से जुड़ी अनेकानेक कहानियों का प्रकाशन।

उल्लेखनीय प्रयोग यथा - बड़ों से साक्षात्कार, इसके अंतर्गत बच्चे विभिन्न क्षेत्रों की महान विभूतियों से रूबरू होते थे, उनके अनुभव सुनते थे और

उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपने जिज्ञासापूर्ण प्रश्न पूछते थे। 

यह एक अत्यंत लोकप्रिय एवं जीवंत प्रयोग सिद्ध हुआ। 

अंतर्राष्ट्रीय बाल वर्ष (1979) में डॉ देवसरे ने हिंदी बालसाहित्य को मानक ग्रंथ दिए :

'बच्चों की सौ कविताएं'

'बच्चों के सौ नाटक'

'बच्चों की सौ कहानियां' 


इन पुस्तकों में इस सदी के आरंभ से 1979 तक की बाल साहित्य यात्रा का आकलन प्रस्तुत किया गया है।

'बाल साहित्य : रचना और समीक्षा' : बालसाहित्य समीक्षा पर एक प्रामाणिक ग्रंथ जिसका उपयोग शोधार्थियों द्वारा आज भी किया जाता है। 

'बालसाहित्य : मेरा चिंतन' : बालसाहित्य पर समीक्षा ग्रंथ

'बालसाहित्य के सरोकार' : बालसाहित्य के विविध पक्षों से जुड़े प्रश्नों - यथा: बाल आकांक्षा, बच्चों को कहानी सुनाने की कला, बालसाहित्य में बाल अभिव्यक्ति, बाल नाटक,

विज्ञान लेखन एवं विज्ञान पत्रकारिता आदि पर विस्तार से विचार। 

'हिंदी बालसाहित्य : एक अध्ययन' : शोधग्रंथ, 1968 में प्रकाशित। शोधर्थियों द्वारा आज भी संदर्भ ग्रंथ  के रूप में मान्य है।

'हू इज़ हू आफ इंडियन चिल्ड्रन्स राइटर्स' (Who's Who Of Indian Children's Writers) का संपादन।

मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र की पाठ्य पुस्तकों में डॉ देवसरे की अनेक रचनाएं सम्मिलित हैं।

'हंस एण्डरसन की कहानियां' (दो भाग) - हिंदी में एण्डरसन की संपूर्ण कहानियों का पहला संग्रह। प्रकाशक: साहित्य अकादमी, रवीन्द्र भवन, नई दिल्ली।

'ग्रिम बंधुओं की कहानियां' (दो भाग) - हिंदी में ग्रिम की सम्पूर्ण कहानियों का पहला संग्रह। प्रकाशक साहित्य अकादमी, रवीन्द्र भवन, नई दिल्ली।

'भारतीय बाल कहानियां' - विभिन्न भारतीय भाषाओं की प्रतिनिधि बाल कहानियों का संकलन : साहित्य अकादमी, दिल्ली द्वारा प्रकाशित।

'भारतीय बाल साहित्य' - विभिन्न भारतीय भाषाओं के बाल साहित्य का विशद समीक्षात्मक परिचय, हिन्दी में प्रथम बार प्रस्तुत। 

 

मीडिया के लिए बालसाहित्य 

(अ) बच्चों के लिए टी.वी. धारावाहिकों का लेखन :

1. आज़ादी की कहानी | 2. सौ बात की एक बात | 3. छुट्टी का स्कूल | 4. कैसे बना मुहावरा, कैसे बनी कहानी

5. छोटी सी बात | 6. देखा-परखा सच | 7. हमारे राष्ट्रीय चिह्न 

 

(ब) बच्चों की टेली फिल्में :

1. अंतरिक्ष का यात्री | 2. हीरा 


(स) रेडियो के लिए :

1. "विज्ञान विधि" : एक अत्यंत प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय विज्ञान धारावाहिक अखिल भारतीय स्तर पर आकाशवाणी से प्रसारित।

2. इसी धारावाहिक पर विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी  विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'देखा - परखा सच'।

3. स्वतंत्रता संग्राम की अमर गाथा - आकाशवाणी के अखिल भारतीय प्रसारण के लिए छब्बीस कड़ियों के धारावाहिक का लेखन - स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के अवसर पर।

4. महानाटक : आकाशवाणी के विविध भारती चैनलों पर तेरह कड़ियों का रोचक धारावाहिक।

5. ज़ाफ़रान के फूल : कश्मीरी कहानियों पर तेरह एपीसोड के धारावाहिक का लेखन निर्माण। 
6. वंदे भव भय हरम् : तेरह कड़ियों के धारावाहिक।

7. महिला एवं बालविकास विभाग के कार्यक्रम 'नया सवेरा' (साप्ताहिक) का तीन वर्षों तक लेखन।(156 कड़ियाँ )

 

दूरदर्शन के लिए लिखे बहुचर्चित धारावाहिक 

1. ख़ाली हाथ 

2. दरार 

3.  प्रहरी 
 

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