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हरिकृष्ण देवसरे बालसाहित्य न्यास कार्यकारिणी समिति  

न्यास की प्रक्रिया, निष्पक्षता एवं पारदर्शिता हेतु एक अत्यंत प्रबुद्ध, सक्षम एवं अनुभवी  कार्यकारिणी  समिति का गठन किया गया है। न्यास मंडल, कार्यकारी और प्रशासनिक दायित्व कार्यकारी समिति के निर्देशन में निभाता है।  न्यास के लिए कार्यकारी समिति और उसके निर्णय सर्वोपरि हैं।  

श्री बालस्वरूप राही 

बालस्वरूप राही हमारे समय के  शीर्ष बाल-साहित्यकारों में एक हैं। पत्रकारिता से भी उनका लंबा नाता रहा है। हिन्दी कविता में उनका नाम अपनी भाषायी सादगी और संवेदना के लिए अलग से पहचाना जाता है। कवि दिनकर, बच्चन, नेपाली, रंग की पीढ़ी के बाद के उल्लेखनीय हस्ताक्षर बालस्वरूप राही आधुनिक गीत के भी एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। साहित्यिक पत्रकारिता और संपादन के क्षेत्र में अपनी ख़ास पहचान बनाते हुए उन्होंने कविता को जनोन्मुख बनाया।

सम्मान तथा पुरस्कार : प्रकाशबीर शास्वी पुरस्कार, एन.सी.इं.आर.टो. का राष्टीय पुरस्कार, हिन्दी अकादमी द्वारा साहित्यकार सम्मान, अक्षरम् सम्मान, उदूभव सम्मान, जै जै वन्ती सम्मान, परम्परा पुरस्कार, दिल्ली प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन समान, हिन्दू कालेज द्वारा अति विशिष्ट छात्र-सम्मान ।
उल्लेखनीय : अनेकानेक कवि-गोष्ठियों, कवि-सम्मेलनों आदि में सक्रिय भागीदारी।  रेडियो, टीवी में अनेक कार्यक्रम।  'आकाशवाणी' से एकल काव्य-पाठ और 'साहित्य अकादेमी' में एकल काव्य-पाठ।  आकाशवाणी के सर्वभाषा कवि-सम्मेलन में हिन्दी का प्रतिनिधित्व (2003 ) ।

बालस्वरूप राही जी ने बालमन की कौतुहल, जिज्ञासा को सहजता से बालगीतों के माध्यम द्वारा शांत कर उन्हें नई सोच की ओर अग्रसर किया है। बालसाहित्य में बालगीतों के शिरोमणि के रूप में आपने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। नए लेखकों और बालपाठकों का आप एक प्रशस्त ज्योति पुंज की भाँति निरंतर पथ प्रदर्शन कर रहे हैं। 
 

डॉ मधु पंत 

डॉ मधु पंत - पिछले पांच दशकों से भी अधिक समय से बच्चों के लेखन, प्रकाशन,  उनकी रचनात्मकता एवं सर्वांगीण विकास में संलग्न है । उन्होंने राष्ट्रीय बालभवन के निदेशक  के रूप में अनेक अभिनव कार्यक्रमों तथा  बालश्री योजनाओं का सूत्रपात किया यथा बालसाहित्य के लेखकों, प्रकाशकों एवं पाठकों की राष्ट्रीय गोष्ठी, अक्कड़ - बक्कड़ और सुलक्ष्य जैसी पत्रिका का प्रारंभ, बारहमासा और लोक कलाकारों के राष्ट्रीय शिविर, शिक्षकों के अभिनव प्रशिक्षण कार्यक्रम, युवा पर्यावरण विज्ञानियों का राष्ट्रीय सम्मेलन आदि ।
अनौपचारिक शिक्षण विधियों की योजना निर्मित करने के साथ  बच्चों की वैज्ञानिक सोच के विकास हेतु सीधे बच्चों से जुड़ कर, उनसे जीवंत संवाद करने की सतत चेष्टा में संलग्न।   पर्यावरण चेतना की परियोजना ' संचरण  ' के अन्तर्गत पर्यावरण गीतों की एक पुस्तिका और सी डी (ऑडियो ) देश के 5000 स्कूलों में वितरित ।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्वच्छ जंगल की कहानी श्रृंखला की चार पुस्तकें लिखीं जिनका पंद्रह भारतीय भाषाओं में  अनुवाद हुआ ( कुल 60 पुस्तकें) ।
 " फिल्म  विज्ञान क्या है ?" हेतु NHK जापान का अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, बच्चों में विज्ञान और तकनीक लोकप्रिय करने  का राष्ट्रीय पुरस्कार,  बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ शैक्षिक  श्रव्य दृश्य कार्यक्रम का राष्ट्रीय पुरस्कार, दिल्ली अकादमी का बाल साहित्य सम्मान, सर्वश्रेष्ठ बाल साहित्य प्रकाशन जैसे अनेक सम्मानों से सम्मानित ।  
 सम्प्रति : प्रत्येक  गुरुवार YouTube द्वारा बच्चों की कहानी कविता, गीत के कार्यक्रम की प्रस्तुति, जिसे विज्ञान प्रसार की राष्ट्रीय चैनल द्वारा भी प्रदर्शित किया जा रहा है।

श्री देवेंद्र मेवाड़ी 

वरिष्ठ विज्ञान लेखक श्री देवेंद्र मेवाड़ी ने लगभग आधी सदी तक विज्ञान लेखन की साधना की है। 

श्री देवन्द्र मेवाड़ी जी ने विज्ञान लेखन के माध्यम से आम लोगों में वैज्ञानिक जागरूकता के प्रसार में अप्रतिम योगदान दिया है। वे विगत 50 वर्षों से सरल-सहज भाषा और विविध शैलियों में, हिंदी में निरंतर विज्ञान लेखन कर रहे हैं। 

मेवाड़ी जी हिंदी में स्तरीय विज्ञान लेखन और आमजन तक विज्ञान के लोकप्रियकरण में उत्कृष्ट योगदान के लिए हिंदी अकादमी, दिल्ली के प्रतिष्ठित ज्ञान-प्रौद्योगिकी पुरस्कार (2016), विज्ञान परिषद् प्रयाग के शताब्दी सम्मान (2012) और महामहिम राष्ट्रपति के कर-कमलों से केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के रू. 1,00,000 के प्रतिष्ठित ‘आत्माराम पुरस्कार’ से सम्मानित (2005) हुए हैं। विज्ञान लोकप्रियकरण के लिए इन्हें राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार) के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित (वर्ष 2000) किया गया है। ये दो बार भारतेंदु हरिश्चंद्र राष्ट्रीय बाल साहित्य पुरस्कार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार (1994-99 तथा 2002), मेदिनी पुरस्कार, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार (2009), भारतीय विज्ञान लेखक संघ (ईस्वा) के बी.एस. पद्मनाभन पुरस्कार (2012), उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ (वर्ष 1978-79) तथा ‘विज्ञान परिषद्’, प्रयाग (वर्ष 1986) से भी सम्मानित हो चुके हैं।

डॉ विमलेशकान्ति  वर्मा 

डॉ॰ विमलेश कान्ति वर्मा हिन्दी साहित्यकार तथा प्राध्यापक हैं। इन्होंने पिछले चार दशकों से भी अधिक समय से निरंतर अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, कोश निर्माण, पाठालोचन, अनुवाद और सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में अपनी देश-विदेश में सशक्त उपस्थिति दर्ज़ कराई है। डॉ. विमलेश कांति वर्मा ने हिंदी भाषा, साहित्य और भारतविद्या के क्षेत्र में 20 पुस्तकें लिखीं हैं और 60 शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं। डॉ॰ विमलेश कांति वर्मा हिन्दी साहित्यकार तथा प्राध्यापक हैं। इन्होंने पिछले चार दशकों से भी अधिक समय से निरंतर अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, कोश निर्माण, पाठालोचन, अनुवाद और सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में अपनी देश-विदेश में सशक्त उपस्थिति दर्ज़ कराई है। बुल्गारिया की सरकार ने डॉ. वर्मा को अनुवादों के माध्यम से भारत और बुल्गारिया के मध्य सांस्कृतिक संबंध मजबूत करने के लिए दो बार राष्ट्रीय सम्मान दिए हैं।

डॉ. वर्मा दिल्ली विश्वविद्यालय में चार दशकों से हिंदी भाषा, साहित्य और अनुप्रयुक्त भाषा विज्ञान पढ़ा रहे हैं। इन्हें टोरेन्टो विश्वविद्यालय, कनाडा (1973), सोफिया विश्वविद्यालय, बुल्गारिया (1974-78) तथा साउथ पैसिफिक विश्वविद्यालय, सुवा, फिजी द्वीपसमूह (1986) में हिंदी शिक्षण योजना शुरू करने का श्रेय जाता है।
 

डॉ क्षमा शर्मा 

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डॉ क्षमा शर्मा बच्चों की वरिष्ठ एवम प्रसिद्ध लेखिका हैं. पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा, साहित्य और पत्रकारिता में पीएच. डी. की शिक्षा प्राप्त। प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार क्षमा शर्मा के लेखन का दायरा बहुत विस्तृत रहा है। बाल साहित्य के लेखन और सम्पादन में शुरू से ही क्षमा शर्मा की रुचि रही है। उनके सत्रह बाल उपन्यास और चौदह बाल कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने बच्चों के लिए विश्व स्तर के बीस क्लासिक्स का हिन्दी रूपान्तरण किया है। देश के सभी पत्र-पत्रिकाओं में बच्चों, महिलाओं और पर्यावरण से सम्बन्धित विषयों पर सैकड़ों लेख लिख चुकी हैं। आकाशवाणी के लिए कहानियाँ, नाटक, वार्ताएँ, बाल कहानियाँ आदि नियमित रूप से लिखती रही हैं। । क्षमा शर्मा की अनेक रचनाओं का अनुवाद पंजाबी, उर्दू, अंग्रेज़ी और तेलुगु में हो चुका है।

क्षमा शर्मा हिन्दी अकादेमी, दिल्ली द्वारा तीन बार पुरस्कृत की जा चुकी हैं। बाल कल्याण संस्थान, कानपुर, इण्डो-रूसी क्लब, दिल्ली तथा सोनिया गाँधी ट्रस्ट, दिल्ली ने भी उन्हें सम्मानित किया है। भारत सरकार के सूचना मंत्रालय ने उन्हें भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार से पुरस्कृत किया है।

अनेक समितियों तथा चयन मंडलों की सदस्या - क्षमा शर्मा के लेखन पर एक विश्वविद्यालय में शोधकार्य सम्पन्न हो चुका है तथा छह विश्वविद्यालयों में शोधकार्य जारी है। संस्कृति मन्त्रालय की सीनियर फैलो रही हैं।

श्री बृजेन्द्र त्रिपाठी 

श्री बृजेन्द्र त्रिपाठी कविता, निबंध, बाल साहित्य, अनुवाद, संपादन आदि विधाओं  के अग्रणीय हस्ताक्षर हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर उपाधि। साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली से २०१५ में उप सचिव पद से सेवानिवृत्त। संप्रति : साहित्य अकादेमी की द्वैमासिक हिंदी पत्रिका “समकालीन भारतीय साहित्य” के अतिथि संपादक के रूप में कार्य।पूर्व में मासिक पत्रिका साहित्य अमृत, भारतीय अनुवाद परिषद्  पत्रिका “अनुवाद”  सम्पादन। कविता-संग्रह, निबंध-संग्रह, बाल कृति, अनूदित एवं सम्पादित कृतियाँ प्रकाशित। विश्व हिंदी सेवी सहस्राब्दी सम्मान (विश्व हिंदी सहस्राब्दी सम्मेलन नई दिल्ली - 2000), डॉ. यशवंत परमार पुरस्कार (सिरमौर कला संगम, हिमाचल प्रदेश - 2007), विक्रमशिला विश्वविद्यालय भागलपुर द्वारा 'विद्यासागर' की उपाधि से विभूषित (2011), साहित्य शिरोमणि पं. दामोदरदत्त चतुर्वेदी सम्मान (सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति - 2012), साहित्य ऋचा सम्मान (सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति, गाजियाबाद - 2012), संस्कृति पुरस्कार  (भारत-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे - 2012)

डॉ. भैरूंलाल गर्ग

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डॉ. भैरूंलाल गर्ग राजस्थान विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से एम. ए. एवं पी-एच. डी. की शिक्षा प्राप्त कर राजस्थान विश्वविद्यालयी शिक्षा में तीन दशक तक हिंदी के प्रोफेसर रहे हैं। लगभग चार दशक से बालसाहित्य लेखन से जुड़े डॉ. गर्ग हिंदी की एकमात्र बालसाहित्यिक पत्रिका 'बालवाटिका' मासिक के संस्थापक संपादक हैं। 'बालवाटिका' के हिंदी बालसाहित्य पुरोधाओं पर निकले लगभग डेढ़ दर्जन विशेषांक चर्चित रहे, वहीं 'बालवाटिका' द्वारा आयोजित 23 राष्ट्रीय बालसाहित्य संगोष्ठियों ने भी बालसाहित्य उन्नयन की दृष्टि से कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं।
मूलतः बालसाहित्य लेखन और पत्रकारिता को समर्पित डॉ. गर्ग की डेढ़ दर्जन बालसाहित्य की पुस्तकों के अतिरिक्त दो संस्मरण संग्रह 'मेरी माटी मेरा देश' एवं 'यादों की धूप छाँह' ने काफी लोकप्रियता प्राप्त की है। 
सम्मान तथा पुरस्कार : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के 'बालसाहित्य भारती' सम्मान सहित राजस्थान साहित्य अकादमी का शंभूदयाल सक्सेना बालसाहित्य पुरस्कार, नागरी बालसाहित्य संस्थान बलिया द्वारा 'उपकार का फल' बालकथा संग्रह पर बालसाहित्य पुरस्कार, शकुंतला सिरोठिया बालसाहित्य पुरस्कार, हिंदी सभा सीतापुर (उ. प्र.) द्वारा बालसाहित्य सम्मान, राष्ट्रधर्म, लखनऊ द्वारा 'राष्ट्रधर्म गौरव सम्मान', बालकल्याण एवं बालसाहित्य शोध केंद्र भोपाल द्वारा श्रेष्ठ पत्रिका (बालवाटिका) सम्मान, सृजनगाथा, रायपुर (छ. ग.) द्वारा बालसाहित्य सम्मान, साहित्य मंडल श्रीनाथ द्वारा 'संपादक रत्न सम्मान', उत्तराखंड बालकल्याण साहित्य सम्मान, खटीमा द्वारा संपादक शिरोमणि सम्मान, डॉ. हरिकृष्ण दवेसरे बालसाहित्य न्यास द्वारा बालसाहित्य सम्मान, म. प्र. साहित्य अकादमी, भोपाल द्वारा महादेवी वर्मा रेखाचित्र सम्मान (रु. 100000) सहित विविध साहित्य संस्थानों ने अब तक लगभग शताधिक सम्मान-पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
विशेष : देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में एक हजार रचनाएँ प्रकाशित। दूरदर्शन एवं आकाशवाणी केंद्र जयपुर, उदयपुर, कोटा एवं दिल्ली से हिंदी एवं राजस्थानी में वार्ता, भेंटवार्ता एवं बालसाहित्य संबंधी रचनाएँ प्रसारित। 'बालवाटिका' पर एक पी-एच. डी. हो चुकी हैं एवं विमर्श संबंधी कुछ योजनाएंँ विचाराधीन हैं।

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